transmission and distribution of electrical power in hindi : बिजली हमारे घरों तक कैसे पहुंचती है : विद्युत शक्ति का संचरण और वितरण in hindi

 दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम समझने जा रहे है इलेक्ट्रिसिटी का ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन कैसे होता है और कैसे बिजली हमारे घरों तक पहुंचती है। आप सभी जानते है कि सभी के घरों में विधुत सप्लाई आती है लेकिन यह नहीं जानते कि यह कैसे आती है और कैसे बनती है तो इस बारे आज हम इस पोस्ट में सब कुछ समझेंगे यानी के यहां पर आपको इलैक्ट्रिसिटी के ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन का पूरा ज्ञान मिलेगा। बस आपको इस पोस्ट को शुरू से लेकर आखिर तक बड़ी ध्यान पूर्वक पढना है।



जनरली बिजली का उत्पादन 11 केवी पर किया जाता है यानी पावर प्लांट के अन्दर 11 kv पर इलैक्ट्रिसिटी बनकर तैयार होती है अब इस बिजली को यहां से घरों तक या औधौगिक क्षेत्र तक पहुंचाने के लिए कई सब स्टेशन, ट्रांसमिशन टावर और विधुत चालकों का प्रयोग किया जाता है इन सभी की मदद से ही हम बिजली का उपयोग अपने घरों में कर पाते है आइये इसके बारे में अच्छे से समझते हैं।


इलेक्ट्रिसिटी का ट्रांसमिशन 

विधुत शक्ति केन्द्रों के अन्दर जब बिजली बनकर तैयार हो जाती है तो इसे आगे भेजने के लिए स्टेप अप करना पड़ता है ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि अगर इलैक्ट्रिसिटी को 11 kv पर ही ट्रांसमिशन कर दिया जाये तो ट्रांसमिशन लाइन में लोस बहुत अधिक बढ़ जायेंगे क्योंकि इस वोल्टेज पर लाइन में करंट का मान बहुत अधिक होगा। यदि हमें इन लोसेस को कम करना है तो कंडक्टर का साइज बढाना पड़ेगा लेकिन अगर कंडक्टर का साइज बढायेगे तो इसका सीधा प्रभाव ट्रांसमिशन लाइन की कैपिटल कोस्ट पर पड़ता है जिससे प्रयोग किये जाने वाले चालकों की कोस्ट बढ़ जाती है और कंडक्टर का साइज बढ़ाने से चालकों का वजन भी बढ़ जाता है इसलिए विधुत का 11 केवी पर ट्रांसमिशन नहीं किया जाता है।

इसलिए इस 11 केवी को प्राइमरी ट्रांसमिशन सब स्टेशन पर वहां पर लगाये गए उच्चायी परिणामित्र (step up transformer) की मदद से 132 केवी, 220 केवी या 400 केवी में स्टेप अप कर दिया जाता है। अब यहां बिजली 400 केवी में बदल जाती है इतनी हाई वोल्टेज पर इलैक्ट्रिसिटी का ट्रांसमिशन इसलिए करते है क्योंकि जितनी अधिक वोल्टेज होती है करंट का मान उतना कम हो जाता है जिससे लाइन के अन्दर लोसेस बहुत कम हो जाते है यानी के जितनी पावर हम इनपुट में देते है उतनी ही हमें आउटपुट में मिल जाती है।

अब यह बिजली 400 केवी में बदलकर ट्रांसमिशन टावरों के द्वारा काफी लम्बी दूरी तय करके सेकेंडरी ट्रांसमिशन सब स्टेशन पर आती है जहा पर इस हाई वोल्टेज को 66 केवी या 33 केवी में स्टेप डाउन कर दिया जाता है


इलेक्ट्रिसिटी का डिस्ट्रिब्यूशन 

इसके बाद यह विधुत 66 केवी या 33 केवी में स्टेप डाउन होने के बाद प्राइमरी डिस्ट्रिब्यूशन सब स्टेशन पर पहुंचती है यहां इस सब स्टेशन पर अपचायी परिणामित्र (step down transformer) लगें होते है जो इस 66 या 33 केवी वोल्टेज को 11 केवी वोल्टेज में स्टेप डाउन कर देते है।

अब यह इलैक्ट्रिसिटी यहां से 11 केवी में स्टेप डाउन होकर हाई टेंशन डिस्ट्रिब्यूशन लाइन से होते हुए सेकेंडरी डिस्ट्रिब्यूशन सब स्टेशन तक आती है इस सब स्टेशन के अन्दर भी स्टेप डाउन डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफॉर्मर होता है जो इस 11 केवी को 440 वोल्ट में स्टेप डाउन कर देता है। अब यहां से इस वोल्टेज को गांव या शहर कस्बे में रखें डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफॉर्मर तक पहुंचाया जाता है जो इसे 220 वोल्ट में स्टेप डाउन कर देता है और यह वोल्टेज घरों तक पहुंचती है।

इसके बाद यह डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफॉर्मर इस 440 वोल्ट को 220 वोल्ट में बदल देता है फिर वहां से यह 220 वोल्ट सीमेंट के पोल या लौहे के पोलो द्वारा घरों तक पहुंचती है फिर एक विधुत विभाग का कर्मचारी आकर जो आपके घर के नजदीक वाला पोल होता है उस पर से आपको एक बिजली का कनेक्शन दे देता है और आपके घर के बाहर एक बिजली का मीटर लगा देता है अब आप जितनी भी बिजली खर्च करते हो वो सब उस मीटर में काउंट होती रहती है इस प्रकार से इलेक्ट्रिसिटी का ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन किया जाता है।



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