three phase induction motor in hindi | थ्री फेज इंडक्शन मोटर क्या है

थ्री फेज इंडक्शन मोटर क्या है

हैलो फ्रेंड्स कैसे हैं आप सब आज हम बात करेंगे थ्री फेज इंडक्शन मोटर क्या होता है और ये कैसे काम करता है इसका कार्य सिध्दांत क्या है और इसका उपयोग हम कहां करते हैं चलिए बात करते हैं सबसे पहले three phase induction motor क्या होता है

 वह शुद्ध प्रत्यावर्ती धारा मोटर जो विधुत चुम्बकीय प्रेरण (electro magnetic induction) के सिध्दांत पर कार्य करती है इंडक्शन मोटर कहलाती हैं।या वह शुद्ध प्रत्यावर्ती धारा मोटर जिसका कार्य कारी सिध्दांत या प्रचालन सिध्दांत विधुत चुम्बकीय प्रेरण पर निर्भर करता है इंडक्शन मोटर कहलाती हैं। इसे अतुल्यकाली मोटर (Asynchronous motor)  भी कहते है क्योंकि यह तुल्यकाली गति पर नहीं चलती हैं। इंडक्शन मोटर को हम स्लिप रिगं मोटर भी कह सकते है क्योंकि इसमें स्लिप रिगं का प्रयोग करते है।

इंडक्शन मोटर एक ऐसी मोटर है जो शुद्ध प्रत्यावर्ती धारा (pure a.c) और शुद्ध प्रेरण (induction) के सिध्दांत पर कार्य करती हैं।इसे हम शुद्ध प्रत्यावर्ती धारा मोटर भी कह सकते हैं। क्योंकि इसके लिए सिन्क्रोनस मोटर की तरह ए.सी सप्लाई के साथ डी सी सप्लाई की आवश्यकता नहीं होती हैं।और ना इसमें डी सी मशीन की तरह ए.सी को डी सी में बदला जाता हैं। इसमें सिर्फ प्रत्यावर्ती शक्ति (a.c power) को यांत्रिक शक्ति (mechanical power) में ही प्रत्यक्ष बदला जाता हैं। इसलिए इसे शुद्ध प्रेरण (induction) मोटर भी कहते हैं।

प्रेरण मोटर को हम गतिक ट्रांसफॉर्मर   (dynamic transformer) भी कह सकते हैं क्योंकि यह एक ट्रांसफार्मर की तरह ही शुद्ध प्रत्यावर्ती धारा सप्लाई को लेती हैं और यह मोटर ट्रांसफॉर्मर की तरह ही शुद्ध प्रेरण के सिध्दांत (principle of induction) पर कार्य करती हैं। यह ट्रांसफॉर्मर की तरह ही दो कुण्डली प्राथमिक और द्वितीयक रखती हैं। और यह ट्रांसफॉर्मर की तरह ही प्राइमरी वाइंडिंग से सेकेंडरी वाइंडिंग में विधुत वाहक बल उत्पन्न करती हैं। 

ट्रांसफॉर्मर में टाॅर्क उत्पन्न नहीं होता इसलिए ट्रांसफॉर्मर गतीक (dynamic) नहीं होता है लेकिन थ्री फेज इंडक्शन मोटर में टाॅर्क उत्पन्न होता है और यह गतिक होती है इसलिए हम इंडक्शन मोटर को डायनैमिक ट्रांसफॉर्मर कहते हैं।

इंडक्शन मोटर को हम औधोगिक मोटर (industrial motor) भी कह सकते है क्योंकि यह अभियांत्रिकी क्षेत्र के अन्तर्गत उधोगों में सबसे ज्यादा प्रयोग में लायी जाने वाली मोटर हैं। यहां तक कि दुनिया भर में लगभग 75% मोटर से होने वाले काम three phase induction motor के द्वारा ही किये जाते हैं। 

3 फेज इंडक्शन मोटर का कार्य सिद्धान्त


इस भाग में हम बात करेंगे कि इंडक्शन मोटर का कार्य सिद्धान्त क्या होता है और ये कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है
जब इंडक्शन मोटर की 3 फेज स्टेटर वाइंडिंग में 3 फेज सप्लाई दी जाती है तो इस वाइंडिंग में धारा बहने लगती है और इस धारा प्रवाह से एक घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।इसे स्टेटर का रोटेटिंग मैगनेटिक फिल्ड कहते हैं। इसकी दिशा स्टेटर वाइंडिंग की धारा के फेज अनुक्रम पर निर्भर करती हैं। और इसकी गति तुल्यकाली गति (synchronous speed) होती है जिसे हम Ns से प्रदर्शित करते हैं
जब यह घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र रोटर वाइंडिंग के सम्पर्क में आता है तो उसमें भी एक प्रेरित विधुत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है जो रोटर वाइंडिंग के शाॅर्ट सर्किट होने के कारण उच्च प्रेरित धारा में बदल जाता है। इसी धारा के कारण रोटर में भी एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जिसे रोटर का चुम्बकीय क्षेत्र कहते है। यह स्टेटर के घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र पर क्रिया करता है इन दोनो चुम्बकीय क्षेत्र के आपस में क्रिया करने के कारण एक बल उत्पन्न होता है जो रोटर के धारावाही चालकों पर लगता है। जिसके कारण मोटर में एक बलाघूर्ण उत्पन्न होता है जिससे रोटर स्टेटर के घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में घुमने लगता है।अब जैसे जैसे रोटर की गति (N) स्टेटर के घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र की गति (Ns) के नजदीक आती है वैसे वैसे सापेक्ष गति (Ns-N) कम होती जाती है इससे रोटर पर लगने वाला टाॅर्क भी कम होता जाता है। रोटर की गति, तुल्यकाली गति (Ns) के निकट ही होती है लेकिन हमेशा इससे कम ही रहती है क्योंकि रोटर के तुल्यकाली गति पर पहुंचते ही रोटर पर लगने वाला टाॅर्क शून्य हो जाता है।

3 फेज इंडक्शन मोटर की संरचना

दुसरी मशीनों की तरह ही इंडक्शन मोटर के भी दो भाग होते हैं
(1) स्थाता (stator)
(2) घूर्णक (rotor)

(1) स्टेटर (stator)

three phase induction motor के स्टेटर की संरचना 3 फेज सिंक्रोनस मशीन के स्टेटर के सामन ही होती है। इस दोनों मशीन के स्टेटरो की संरचना इतनी समान होती है कि समान आकार, फेज, कनेक्शन, क्षमता वाली मशीनों के स्टेटरो को आपस में बदला जा सकता हैं।

(2) घूर्णक (rotor) 

इंडक्शन मोटर में हम दो प्रकार के रोटरो का प्रयोग करते हैं
(1) पिंजरी कुण्डलीत घूर्णक ( cage wound rotor)
(2) कला कुण्डलीत घूर्णक (phase wound rotor)

(1)  केज वाउण्ड रोटर की संरचना

 केज वाउण्ड रोटर भी दो प्रकार के होते हैं
(1) सिंगल केज वाउण्ड रोटर
(2) डबल केज वाउण्ड रोटर

(1) सिंगल केज वाउण्ड रोटर

इस भाग में हम बात करेंगे सिंगल केज वाउण्ड रोटर की ये कैसे काम करता है और किस चीज का बना होता है
यह रोटर में भी दुसरे रोटरो की तरह ही स्लोट कटी हुई होती है और यह रोटर विधुतरोधी पतली वार्निश से लेपित की हुई लेमिनेशनो का बना होता है। इस रोटर की कोर में बन्द खाॅचे होते है जिनमें धातु की मोटी छड़ों को पिरोया जाता है और इन धातु की छड़ों के दोनों सिरों पर धातु के दो ऐण्ड रिंग्स को लगाकर शाॅर्ट सर्किट कर दिया जाता है इसलिए इसे बन्द खाॅचे वाली छड़ वाइंडिंग कहते है। इस बार वाइंडिंग के लिए किसी प्रकार के विधुतरोधी पदार्थ की आवश्यकता नहीं होती है। इस सिंगल केज वाउण्ड रोटर को हम काॅपर एलुमिनियम या मिश्रधातु, जैसे ब्रास, ब्रोन्ज आदि का बना होता है।

(2) डबल केज वाउण्ड रोटर


इस रोटर को हम डबल केज वाउण्ड रोटर इसलिए कहते है क्योंकि इस रोटर में डबल वाइंडिंग होती है इस रोटर में ऊपर और नीचे डबल खाॅचे होते है इसमें जो खाॅचे साफ्ट के पास होते है उन्हें आन्तरिक खाॅचे कहते है और ये खाॅचे पुरी तरह से बन्द होते है। इन खाॅचो में जो वाइंडिंग की जाती है उन्हें आन्तरिक वाइंडिंग कहते है। यह वाइंडिंग मोंटे तार से बनायी जाती है इसलिए इसे न्यून प्रतिरोध वाइंडिंग कहते है। three phase induction motor की साफ्ट से दूर वाले खाॅचो को ब्राहा खाॅचे कहते है और इनमें जो वाइंडिंग की जाती है उन्हें ब्राहा या ऊपर वाली वाइंडिंग कहते है। और इसको पतले चालकों से बनाया जाता है इसलिए इसका प्रतिरोध उच्च होता है और इसके खाॅचे आधे बन्द और आधे खुले होते है। स्टार्टिगं के समय अधिकतर धारा ऊपर वाली वाइंडिंग से ही बहती है जिसका प्रतिरोध उच्च होता है। इसलिए इस रोटर में उत्पन्न होने वाला स्टार्टिगं टाॅर्क सिंगल केज वाउण्ड रोटर की अपेक्षा उच्च होता है और भार के समय अधिकतर धारा निचे वाली वाइंडिंग से बहती है जिसका प्रतिरोध कम होता है जिससे रोटर आवृत्ति कम होने पर इसका प्रतिघात भी कम होता है।

(2) फेज वाउण्ड रोटर या स्लिप रिंग्स टाइप रोटर


इस रोटर में हम स्लिप रिगं का प्रयोग करते है जो रोटर की साफ्ट पर लगी होती है इसलिए इसे स्लिप रिगं रोटर भी कहते है इस रोटर में दो प्रकार के खाॅचे होते है खुले और अर्ध खुले खाॅचे बनें होते है। इन खाॅचो में स्टेटर के समान ही पतले चालकों की वाइंडिंग की जाती है और इसमें पोलो की संख्या स्टेटर के पोलो के बराबर ही रखीं जाती हैं स्टेटर में 3 फेज डेल्टा कनैक्टेड वाइंडिंग की जाती है जबकि रोटर पर 3 फेज स्टार कनैक्टेड वाइंडिंग की जाती है। इस स्टार कनैक्टेड वाइंडिंग के सिरों को प्रत्येक स्लिप रिगं से कनैक्ट किया जाता है और यह कार्बन ब्रुशो द्वारा स्टार कनैक्टेड स्टार्टिगं प्रतिरोध से कनैक्ट रहती है।
इस रोटर पर पतले तारो की वाइंडिंग होती है जिससे इसका प्रतिरोध उच्च होता है इसलिए इस रोटर में उत्पन्न स्टार्टिगं टाॅर्क, दोनों प्रकार के केज वाउण्ड रोटरो में उत्पन्न टाॅर्क से अधिक होता है।
इसमें स्लिप रिगं के द्वारा स्टार्टिगं प्रतिरोध जुड़ जाने के कारण इसका टाॅर्क और अधिक हो जाता है इसलिए स्लिप रिगं टाइप रोटर वाली इंडक्शन मोटर का प्रयोग हम वहां करते है जहां उच्च स्टार्टिगं टाॅर्क की आवश्यकता होती है।

three phase induction motor रोटर के घूमने की दिशा और उसमें उत्पन्न टाॅर्क

जब 3 फेज इंडक्शन मोटर के स्टेटर में 3 फेज सप्लाई दी जाती है तो स्टेटर की वाइंडिंग में धारा बहने लगती है जो घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है। इस चुम्बकीय क्षेत्र को स्टेटर का फिल्ड कहते है। माना कि स्टेटर फिल्ड की दिशा क्लाॅकवाइज है।स्टेटर का यह चुम्बकिय क्षेत्र वायु अन्तराल से गुजरता हुआ रोटर के चालकों से टकराता है। रोटर में एक विधुत वाहक बल उत्पन्न होता है जिससे कारण चालकों पर एक बल लगता है जिससे एक टाॅर्क उत्पन्न हो जाता है। इस टाॅर्क के कारण रोटर स्टेटर फिल्ड की दिशा में घुमने लगता है।

3 फेज इंडक्शन मोटर के लाभ

(1) इसकी संरचना बहुत आसान और मजबूत टिकाऊ होती हैं।

(2) इसकी शुरुआत में किमत भी बहुत कम होती हैं

(3) जब मोटर घराब हो जाती है तो इसको ठीक कराने में भी कम किमत लगती हैं।

(4) इंडक्शन मोटर एक स्वचालित (self start) मोटर होती हैं।

(5) इसके लिए डी सी सप्लाई की आवश्यकता नहीं होती है यह सीर्फ ए सी सप्लाई पर ही चलती हैं।

(6) पूर्ण भार पर भी इसका शक्ति गुणांक सन्तोष जनक होता है।

(7) पूर्ण भार (full load) पर इसकी दक्षता (efficiency) उच्च होती हैं।

(8) भारतीय बाजारों में यह आसानी से मिल जाती हैं।

(9) यह एक स्थिर गति पर चलने वाली मोटर होती है।

(10) इसकी देखभाल करने की आवश्यकता बहुत कम होती हैं।

(11) इसमें सर्पी वलय के साथ ब्रुशो का प्रयोग नहीं होता है इसलिए इसमें स्पार्किगं की समस्या नहीं आती हैं।

3 फेज इंडक्शन मोटर की हानियां

(1) इंडक्शन मोटर पर भार बढ़ने पर इसकी गति कुछ कम हो जाती है।
(2) इंडक्शन मोटर की गति कम होने से इसकी दक्षता भी कम हो जाती है।
(3) जब इंडक्शन मोटर पर भार कम होता है तो इसकी दक्षता भी कम होती है।
(4) भार कम होने के कारण इसका शक्ति गुणांक भी कम हो जाता है।
(5) इसका शुरुआत में लगने वाला टाॅर्क सामान्य होता है।
(6) इसकी गति को नियंत्रित करने में बहुत दिक्कत आती है।

three phase induction motor का शक्ति गुणांक कम होने का कारण क्या है

इंडक्शन मोटर का शक्ति गुणांक कम होने का कारण काफी सारी वजह है इन वजहों को में आपको विस्तार पूर्वक निचे बता रहा हूं

(1) इंडक्शन मोटर का आकार

जी हां यह देखा गया है कि बड़ी इंडक्शन मोटरों की अपेक्षा छोटी इंडक्शन मोटरों का शक्ति गुणांक कम होता है तो हम इससे यह समझ सकते है कि इंडक्शन मोटर की क्षमता (capacity) घटने पर उसका शक्ति गुणांक भी कम हो जाता है।

(2) इंडक्शन मोटर में प्रयोग होने वाला पदार्थ

इंडक्शन मोटर में यह भी देखा गया है कि अगर इंडक्शन मोटर बनाने में प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ घटिया गुणवत्ता (low quality) का है तो इससे भी इंडक्शन मोटर का शक्ति गुणांक कम हो जाता है। तों शक्ति गुणांक को बैटर रखने के लिए हमें अच्छी गुणवत्ता के पदार्थ का इस्तेमाल करना चाहिए।

(3) इंडक्शन मोटर को दी जाने वाली सप्लाई वोल्टेज

यदि इंडक्शन मोटर पर लगाया जाने वाला भार एक समान स्थिती में बना हुआ है तो इंडक्शन मोटर को दी जाने वाली सप्लाई वोल्टेज बढ़ जाती है जिसके कारण मोटर का शक्ति गुणांक कम हो जाता है क्योंकि वोल्टेज के बढ़ने से धारा का चुम्बकीय घटक बढ जाता है जिससे शक्ति गुणांक घट जाता है।

(4) इंडक्शन मोटर पर लगाया जाने वाला भार

थ्री फेज इंडक्शन मोटर पर लगाया जाने वाला भार जैसे जैसे घटता जाता है वैसे वैसे इंडक्शन मोटर का शक्ति गुणांक भी घटता जाता है और बिना भार के तो इंडक्शन मोटर का शक्ति गुणांक बहुत ज्यादा घट जाता है। कभी भी इंडक्शन मोटर को बिना भार के नहीं चलानी चाहिए। जहां तक हो सके इंडक्शन मोटर को पूर्ण भार पर ही चलानी चाहिए। क्योंकि पूर्ण भार पर ही इंडक्शन मोटर का शक्ति गुणांक सबसे अच्छा होता है।

इंडक्शन मोटर में क्राॅलिगं क्या होता है (Crawling of induction motor)

कभी कभी ऐसा हो जाता है कि इंडक्शन मोटर बहुत कम गति पर चलने लगती है तो इंडक्शन मोटर का इस कम गति पर चलना ही क्राॅलिगं कहलाता है।
ऐसा इसलिए होता है जब three phase induction motor में दी जाने वाली सप्लाई नोन साइनोसोडियल हो जिसके कारण स्टेटर में उत्पन्न होने वाला चुम्बकीय वाहक बल भी नोन साइनोसोडियल आकार का होता है जिसके कारण मोटर में हार्मोनिक्स उत्पन्न होते है हार्मोनिक्स फ्लक्स तरंगें उत्पन्न होने से मोटर की गति कम हो जाती है जो कि अपनी सामान्य गति का सात गुना तक कम हो जाती है।
इन हार्मोनिक्स फ्लक्स तरंगों की आवृत्ति बहुत उच्च होती है जिसके कारण मोटर में विकसित टाॅर्क कमजोर हो जाता है क्योंकि टाॅर्क फ्लक्स के समानुपाती होता है इसी वजह से मोटर बहुत कम गति पर चलने लगती है।



कोई टिप्पणी नहीं: