corona effect in electrical in hindi : corona effect in transmission line in hindi

 Corona effect क्या होता है

जब भी आप किसी ट्रांसमिशन लाइन या ट्रांसमिशन टावर के पास से गुजरते होंगे तो आपको एक आवाज सुनाई दी होगी इस आवाज को हिजिंग साउण्ड कहते हैं इस आवाज के आने को ही corona effect कहा जाता है आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि कोरोना इफैक्ट क्यों होता है और साथ ही साथ पावर सिस्टम का हमारा बहुत महत्वपूर्ण टोपिक इसमें पढ़ेंगे जैसे कोरोना क्या होता है, कोरोना का फोर्मेशन कैसा होता है और ये किन किन फैक्टर पर निर्भर करता है और corona effect के लाभ और हानियां क्या क्या है।

यह प्रश्र आपके इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के इंटरव्यू के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस टोपिक में से जितनी भी ट्रांसमिशन लाइन के प्रोजेक्ट वाली कम्पनियों होती है वो इस टोपिक में से ही अकसर प्रश्नो को पुछा करती है।

कोरोना इफैक्ट क्या होता है

इसे हम एक आसान सी भाषा में समझते है अगर ट्रांसमिशन लाइन में ऐसी घटना हों जिसमें आपको violet glow देखने को मिलें या फिर transmission line से हिजींग साउण्ड सुनाई दे तो इसी घटना को कोरोना इफैक्ट कहते हैं। 

Corona effect in electrical in hindi


अब आपके मन में एक सवाल आ रहा होगा कि कोरोना इफैक्ट क्यों होता है और कैसे होता है इसके बारे में आगे बताया गया है तो चलिए जान लेते है कि आखिर ये इफैक्ट क्यों होता है।

ट्रांसमिशन लाइन की जो तार होती है वह हवा में लटकी रहती है मतलब कि जो transmission line की कंडक्टर होती है उसके चारों ओर वातावरण में हवा रहती है। यहां पर यह एयर एक डाइलैक्टिक मिडियम की तरह व्यवहार करती है यानी के यह एक इंसुलेटर की भांति काम करती है। लेकिन प्रैक्टिकली जो ये वायु होती है वह परफैक्ट इंसुलेटर नहीं होती है क्योंकि हवा के अन्दर काफी सारी अल्ट्रा वायलेट किरणें मौजूद होती है जिसके कारण इसमें आयनित कण उपस्थित रहते है जैसे फ्री इलैक्ट्रोन, पोजिटिव आयन और न्यूट्रल मोलिक्यूल इसमें होते हैं।

इसी वजह से एयर एक परफेक्ट विधुत रोधी नहीं होती है वायु की डायलेक्ट्रीक स्ट्रैंथ नाॅर्मल दाब और ताप पर 30 kv/cm होती है यानी अगर एक सेंटीमीटर वायु में वोल्टेज 30 kv/cm से अधिक वोल्टेज पास होती है तो हवा आयनाइज्ड हों जाती है उसके अंदर से करंट बहने लगती है इसके एयर का ब्रेकडाउन कहते हैं।

जो हाई वोल्टेज की लाइन होती है उनके चारों ओर इलैक्ट्रिक फील्ड होता है इस फील्ड की वजह से कंडक्टर में पोटेंशियल ग्रेडिएंट की कंडीशन ऊत्पन्न हो जाती है। मान लीजिए एक 132kv की लाइन है तो हाई वोल्टेज होने के कारण कंडक्टर के आजू बाजू भी कुछ वोल्टेज होंगी, जैसे जैसे चालक से दूर जायेंगे वैसे वैसे वोल्टेज कम होती जायेगी, तो इस इस दूरी के हिसाब से वोल्टेज का कम होना ही पोटेंशियल ग्रेडिएंट कहलाता हैं।

मान लीजिए हमारे पास 132kv लाइन की दो कंडक्टर है जिनके चारों ओर इलैक्ट्रिक फील्ड है जिसकी वजह से पोटेंशियल ग्रेडिएंट की कंडीशन ऊत्पन्न होगी और लाइन के आजू बाजू हवा में फ्री इलैक्ट्रोन और आयन मौजूद होंगे जैसे ही इस हाई वोल्टेज लाइन में 132kv की सप्लाई आती है तो कंडक्टर के आस पास की एयर आयनाइज्ड हों जाती है यानी के जो हवा में फ्री इलैक्ट्रोन होते है वो आपस में टकराने लगते है और उनमें आर्क उत्पन्न हो जाती है (यही आर्क हमें वायलेट ग्लो के रूप में दिखाई देती है) और इसी के कारण हिजींग साउण्ड ऊत्पन्न हो जाता है और कंडक्टर में वाइर्ब्रेशन भी होने लगता है यह घटना बरसात के मौसम में अधिक देखने को मिलती हैं क्योंकि बारिस के दिनों में हवा में नमी की मात्रा बढ़ जाती है इसी कारण बरसात के दिनों में कोरोना इफैक्ट ज्यादा देखने को मिलता है।

Corona effect से संबंधित दो टर्म बहुत महत्वपूर्ण होते है जिनके बारे में जानना जरूरी होता है पहला होता है disruptive critical voltage यह वह न्यूनतम वोल्टेज होता है जिस पर कंडक्टर के आस पास की एयर आयनाइज्ड हों जाती है और दूसरा होता है visual critical voltage यह वह न्यूनतम वोल्टेज होता है जिस पर कोरोना इफैक्ट ग्लो करता है यानी ट्रांसमिशन लाइन के कंडक्टर की ओर देखने पर वाइलेट ग्लो दिखाई देने लगता है।

कोरोना इफैक्ट को प्रभावित करने वाले फैक्टर

• सप्लाई वोल्टेज

कोरोना का इफैक्ट 30kv से कम की ट्रांसमिशन लाइन में देखने को नहीं मिलता है यह प्रभाव 30kv से ऊपर की लाइनों में ही देखा जाता है क्योंकि जब सप्लाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन में तीस केवी से अधिक हो जाती है तो कंडक्टर के आस पास की एयर का ब्रेकडाउन हो जाता है जिससे चालक के आजू बाजू की वायु आयनाइज्ड हों जाती है अब जैसे जैसे वोल्टेज बढ़ती जाती है वैसे वैसे कोरोना इफैक्ट भी बढ़ता जाता है।

• सप्लाई आवृत्ति

ट्रांसमिशन लाइन में जो सप्लाई होती है उसकी आवृत्ति कोरोना लोस के समानुपाती होती है यानी के जितनी ज्यादा आवृत्ति को बढायेगे उतना ही अधिक transmission line के अन्दर corona effect ज्यादा होगा।

• चालकों के बीच की दूरी

सिरोपरी लाइनों में प्रयोग कियें जाने वाले चालकों के बीच की दूरी कोरोना इफैक्ट के व्यूत्क्रमानुपाती होती है इसका मतलब यह हुआ कि कंडक्टर के बीच में जितनी अधिक दूरी होगी कोरोना इफैक्ट उतना ही कम होगा और यदि चालकों के बीच दूरी कम रखी जायेगी तो corona effect भी उतना ही अधिक होगा।

वातावरण पर

कोरोना इफैक्ट वातावरण पर भी बहुत अधिक निर्भर करता है बरसात के मौसम में कोरोना इफैक्ट अधिक देखने को मिलता है जबकि गर्मी के दिनों में इसका प्रभाव कम दिखता है क्योंकि बारिश के मौसम में हवा में नमी ज्यादा होती है जिसकी वजह से वायु जल्दी आयनाइज्ड हों जाती है जिससे हिजींग साउण्ड अधिक सुनाई देता है। और गर्मी के मौसम में हवा में नमी की मात्रा कम होती है जिससे वायु कम आयनाइज्ड होती है जिससे हिजींग साउण्ड कम आती है।

कोरोना इफैक्ट की हानियां

• कोरोना की वजह से पावर लोस होता है जो कि हिट, लाइट, साउण्ड और गैस के रूप में व्यर्थ होती है और इसके कारण ट्रांसमिशन लाइन की क्षमता भी कम हो जाती है।

• कोरोना इफैक्ट की वजह से ओजोन गैस बनती है जिससे कंडक्टर पर कार्बन बनने लगता है और transmission line के चालक की life भी कम हो जाती है।

• ट्रांसमिशन लाइन में जो सप्लाई होती है वह एक शुद्ध ए सी सप्लाई होती है लेकिन कोरोना इफैक्ट के कारण इसमें अन साइनोसोडियल सिग्नल ऊत्पन्न हो जाते हैं।

Corona effect के लाभ

कोरोना इफैक्ट के कारण कंडक्टर के आस पास की एयर एक चालक की तरह काम करने लगती है जिससे कंडक्टर का क्षेत्रफल एक तरह से बढ़ जाता है। यदि कभी लाइन के अन्दर किसी कारणवश बहुत अधिक करंट बहने लगे तो उस कंडिशन में कंडक्टर खराब होने से या टूटने से बच जाता है। यह कोरोना इफैक्ट की एक अच्छी बात भी होती है।

कोरोना इफैक्ट को कम करने के तरीके

• ट्रांसमिशन लाइन में प्रयोग किये जाने वाले कंडक्टर का साइज बढ़ाकर इस प्रभाव को कम किया जा सकता है।

• transmission line में बंडल कंडक्टर का उपयोग करके भी कोरोना इफैक्ट को काफी हद तक नैग्लेट किया जा सकता है।

• corona effect को कम करने का एक तरीका और है इसे corona ring का प्रयोग करके भी कर कर सकते हैं।


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