DOL स्टार्टर क्या है
dol स्टार्टर का पूरा नाम डायरेक्ट ओन लाइन स्टार्टर होता है और इस स्टार्टर को शुद्ध हिन्दी में प्रत्यक्ष प्रदाय वाला प्रवर्तक या आरम्भक कहते है। यह एक ऐसा स्टार्टर होता है जिसे लाइन के साथ डायरेक्ट जोड़ा जाता है dol स्टार्टर केवल मोटर को ओवर लोड को प्रोटैक्ट करने में मददगार होता है।
यहां पर आपको एक थ्री फेज पुश बटन डायरेक्ट ओन लाइन स्टार्टर के कनैक्शन को थ्री फेज स्काइरल केज इंडक्शन मोटर के साथ दिखाया गया है। dol स्टार्टर को पुश बटन स्टार्टर, फुल वोल्टेज स्टार्टर, स्पेशियल स्विच स्टार्टर आदि कई नामों से जाना जाता है। इस स्टार्टर का उपयोग उच्च रोटर रेजिस्टेंस रखने वाली 5 hp की मोटर के लिए होता है।
dol स्टार्टर न तो विधुत धारा को नियंत्रित करता है और न ही वोल्टेज को नियंत्रित करता है यह केवल मोटर को अति भार रक्षण प्रदान करता है। इस स्टार्टर में दो पुश बटन होते है। पहला बटन हरें रगं का होता है, जो स्टार्ट या ओन स्विच होता है यह नोर्मल ओपन रहता है। यह स्विच मोटर को स्टार्ट करने के लिए होता है, इसको दबाने से स्टार्टर के ओपन काॅटैक्ट क्लोज्ड हो जाते है और परिपथ चुम्बकीय कुण्डली द्वारा पूर्ण हो जाता है जिससे चुम्बकीय कुण्डली में चुम्बकत्व आ जाता है और मोटर स्टार्ट हो जाती है।
dol स्टार्टर में दूसरा बटन लाल रंग का होता है, जो स्टोप या ओफ स्विच होता है यह नोर्मली क्लोज रहता है। यह बटन मोटर की गति को शून्य करने के लिए होता है, इसको दबाने से स्टार्टर के कोनटैक्ट ओपन हो जाते है और चुम्बकीय कुण्डली का विधुत परिपथ भंग हो जाता है यानी चुम्बकीय कुण्डली का चुम्बकत्व समाप्त हो जाता है जिससे चलती हुई मोटर रुक जाती है।
इस स्टार्टर के कुछ महत्वपूर्ण भाग होते है जो स्टार्टर के कार्य करने में काफी मदद करते है इन भागों के बारे में नीचे बिस्तार से बताया गया है।
लो वोल्टेज कुण्डली या शून्य वोल्टेज काॅयल
यह लोड कोर की परिनलिका पर लिपटी हुई एक कुण्डली होती है, जो सप्लाई वोल्टेज की उपस्थिति में अपने निकटतम मृदु लौहे के आर्मेचर को आकर्षक द्वारा पकड़े रखती है, लेकिन यह नो वोल्टेज या लो वोल्टेज की अवस्था में विचुम्बकित या न्यूनचुम्बकित होकर अपने निकटवर्ती आर्मेचर को आकर्षक द्वारा पकड़े रहने में समर्थ नहीं होती है। जिससे परिपथ भंग हो जाता है और मोटर का चलना बन्द हो जाता है।
ओवर लोड प्रोटेक्शन या अतिभार रक्षण
इसमें द्विधात्विक पत्तियों के ऊपर तापक कुण्डलियों को लपेट कर बनाया गया एक तापीय स्विच होता है जो नोर्मली क्लोज रहता है। परन्तु मोटर के अतिभार और अति धारा प्रदोष की अवस्था में जब धारा का मान, निर्धारित धारा के मान से अधिक हो जाता है, तब तापक कुण्डलियों के ताप से तप्त होकर द्वि धात्विक पत्ती मुड़ जाती है या तापन स्विच खुल जाता है। इससे परिपथ भंग हो जाता है और चुम्बकीय कुण्डली अ चुम्बकित होकर मृदु लौहे के आर्मेचर को मुक्त कर देती है। जिससे त्रिध्रुविय स्विच स्प्रिगं द्वारा ऊपर की ओर खींच लिया जाता है और विधुत सप्लाई के ओफ होते ही मोटर का चलना बन्द हो जाता है।
dol स्टार्टर क्या है आप इस पोस्ट में अच्छे से समझ गये होगें। अगर आपको मेरी यह पोस्ट अच्छी लगी है तो कमेंट करके जरूर बताइए और इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर किजिए।



कोई टिप्पणी नहीं: