चुंबकन क्षेत्र (Magnetising field)
जब कोइ चुंबकीय पदार्थ किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो वह चुंबकित हो जाता है अर्थात उसमें भी चुंबक का गुण आ जाता है। चुम्बकीय पदार्थों के इस प्रकार चुम्बकत्व ग्रहण करने की क्रिया को चुंबकन कहते हैं। इस चुंबकीय क्षेत्र को जिसके कारण पदार्थ में चुम्बकत्व का गुण आया है, चुंबकन क्षेत्र या चुम्बकीय प्रेरण कहते है। चुंबकन क्षेत्र भी एक चुंबकीय पदार्थों के गुण है आगे और इसके कुछ गुणों के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।
चुंबकन की क्रिया में चुंबकीय पदार्थों के सिरों की चुम्बकीय ध्रुवता चुम्बकन क्षेत्र की ध्रुवता के विपरित बनती है अर्थात् चुंबकन क्षेत्र में उत्तरी ध्रुव की ओर वाला चुंबकीय पदार्थ का सिरा दक्षिणी ध्रुव तथा क्षेत्र के दक्षिणी ध्रुव की ओर वाला सिरा उत्तरी ध्रुव पर बनता है। अतः चुम्बकित पदार्थ की चुम्बकीय बल रेखायें चुंबकन क्षेत्र की बल रेखाओं के विपरित दिशा में होती है। चुंबकीय पदार्थ की बल रेखाओं को प्रेरण बल उत्पन्न रेखायें कहते हैं।
किसी बिंदु पर चुम्बकन क्षेत्र की त्रिवता उस बल से मापी जाती है जो उस पर स्थित एकांक उत्तरी ध्रुव पर कार्य करता है। दूसरे शब्दों में चुंबकन क्षेत्र की त्रिवता उन बल रेखाओं की संख्या के बराबर होती है जो उस बिंदु पर स्थित एकांक क्षेत्रफल के लम्बवत गुजरती है। इसका CGS पद्ति में मात्रक आर्स्टेड या गौस होता है और MKS पद्ति में मात्रक वेबर/मीटर वर्ग होता है।
चुंबकीय फ्लक्स घनत्व (Magnetic flux density)
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में चुंबकीय बल रेखाएं ही चुम्बकीय क्षेत्र की प्रतिक होती है। चुंबकन की क्रिया में दो चुम्बकीय क्षेत्र होते है अर्थात् दो प्रकार की बल रेखाएं होती हैं। एक तो चुंबकन क्षेत्र की बल रेखाएं और दूसरी चुम्बकित पदार्थ की बल रेखाएं। चुंबकन क्षेत्र की बल रेखाओं को अविरत रेखाओं द्वारा और चुंबकीय पदार्थ की बल रेखाओं को बिंदुदार रेखाओं द्वारा प्रर्दशित किया जाता है। पदार्थ के अन्दर किसी बिंदु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की त्रिवता इन दोनों चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रताओं के योग के बराबर होती है। इस परिणामी तीव्रति को ही चुंबकीय फ्लक्स घनत्व कहते हैं। इसको चुंबकीय प्रेरण का संख्यात्मक मान भी कहते है, इस राशि को B से व्यक्त किया जाता है, यह एक सदिश राशि है और इसका एस आई मात्रक वेबर प्रति मीटर वर्ग होता है।
चुंबकन की तीव्रता
किसी चुम्बकित पदार्थ की चुम्बकीय अवस्था का वर्णन जिस भौतिक राशि द्वारा किया जाता है, वह चुंबकन की तीव्रता कहलाती है। इसको I से प्रर्दशित करते है यह एक सदिश राशि है, इसका परिमाण प्रति एकांक आयतन चुंबकीय आघूर्ण के बराबर होता है।
चुम्बकित पदार्थ की चुम्बकीय अवस्था उसकी चुम्बकन तीव्रता से ज्ञात की जाती है। यदि किसी चुंबकीय पदार्थ को H तीव्रता वाले चुंबकन क्षेत्र में रखने पर प्रेरण द्वारा उसमें M चुंबकीय आघूर्ण उत्पन्न हो और पदार्थ का आयतन V हो तो चुंबकन तीव्रता
I = M / V
इसका मात्रक ऐम्पीयर प्रति मीटर होता है।
चुंबकीय प्रवृत्ति
किसी निश्चित शक्ति के चुंबकीय क्षेत्र में किसी चुम्बकीय पदार्थ को रखने पर उसमें ऊत्पन्न चुम्बकत्व की मात्रा जितनी अधिक होती है, उसकी चुंबकीय प्रवृत्ति उतनी ही अधिक कही जाती है। अतः चुम्बकीय प्रवृत्ति से तात्पर्य, पदार्थ द्वारा सरलता से चुम्बकत्व ग्रहण करने की क्षमता से हैं। किसी पदार्थ में ऊत्पन्न चुंबकन की तीव्रता I और चुंबकन क्षेत्र H के अनुपात को उस पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति कहते हैं। नर्म लौहा स्टील की अपेक्षा अत्यंत सरलता से अधिक शक्ति का चुंबकन बनाया जा सकता है, जबकि दोनों पर कार्य कारी चुम्बकीय क्षेत्र बराबर हो। नर्म लौहे की चुंबकीय प्रवृत्ति स्टील से अधिक होती है।
चुंबकशीलता (Permeability)
वायु की अपेक्षा लौहे या अन्य किसी चुंबकीय पदार्थ में से चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या जितनी अधिक गुजरती है उसकी चुंबकशीलता उतनी ही अधिक कही जाती है। अतः चुम्बकीय बल रेखाओं के लिए पदार्थ की चालकता से तात्पर्य ही उसकी चुंबकशीलता से होता है।
यदि किसी पदार्थ को चुंबकन क्षेत्र H में रखने पर उसमें चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व B हो तो पदार्थ की चुंबकशीलता, B और H के अनुपात के बराबर होती है। इसे म्यू से दर्शाया जाता है।
दूसरे शब्दों में, किसी चुम्बकन क्षेत्र में रखें किसी पदार्थ के एकांक क्षेत्रफल से लम्बवत गुजरने वाली बल रेखाओं की संख्या B और पदार्थ की अनुपस्थिति में वायु के एकांक क्षेत्रफल से गुजरने वाली चुंबकीय बल रेखाओं की संख्या H के अनुपात को पदार्थ की चुंबकशीलता कहते हैं। नर्म लौहे की चुंबकशीलता बहुत अधिक होती है।
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