हिस्टेरिसिस मोटर क्या होती है
हिस्टेरिसिस मोटर एक विशेष प्रकार की सिंगल फेज, फ्रेक्शनल हाॅर्स पावर सिंक्रोनस मोटर होती है, जिसके लिए डी सी एक्साइटेशन की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें मंदायन के सिध्दांत पर यांत्रिक बलाघूर्ण ऊत्पन्न होता है, इसकी प्रचालन अभिलक्षणे लगभग सिंक्रोनस मोटर के समान ही होती है, परन्तु इसकी संरचना स्पिलिट फेज स्काइरल केज इंडक्शन मोटर के समान होती है। इसे शैथिल्य मोटर के नाम से भी जाना जाता है। हिस्टेरिसिस मोटर क्या होती है इसके बारे में और भी बहुत कुछ हम इस पोस्ट में जानेंगे।
हिस्टेरिसिस मोटर का प्रचालन ( Operation of hysterisis motor )
दो शैडेड पोल टाइप हिस्टेरिसिस मोटर को नीचे चित्र में दिखाया गया है। इसके रोटर की संरचना, कोबाल्ट स्टील की बहुत सी चपटी चक्रिकाओं को शाफ्ट पर प्रेस्ड करके की गई है। इस रोटर ऐसेम्बली को पटलित लौह क्रोड से निर्मित स्टेटर के शैडेड पोलो के बीच में स्थापित किया जाता है।
स्टेटर के दोनों शैडेड पोलो द्वारा उत्पन्न रोटेटिंग मेग्नेटिक फील्ड के प्रभाव से रोटर सर्किट में विधुत धारा प्रवाहित होती है, जो मोटर को इंडक्शन मोटर की तरह स्टार्ट कर देती है। अब जैसे ही मोटर की गति बढ़ती है, वैसे ही डिस्क रोटर में अधिकाधिक हिस्टेरिसिस हानियां विकसित होने लगती है, जो सामान्य मोटर की अपेक्षा, अति उच्च शैथिल्य बलाघूर्ण ऊत्पन्न करते हैं।
रोटर की दो क्रोस बार्स की लंबाई की और न्यूनतम रिलक्टैंस पाथ कायम रहता है। रोटर में प्रेरित धारा प्रवाहित होने के कारण, इसमें क्रार्स बार्स अक्ष की और दो स्थायी चुंबकीय ध्रुवों का विकास होता है। कोबाल्ट स्टील की चुंबकीय धारण शक्ति अत्यधिक होती है, इसलिए इसके चुम्बकीय ध्रुव अधिक देर तक अवशिष्ट चुंबकत्व को धारण किए रहते हैं। इस प्रकार से बनें हुए चुंबकीय ध्रुव, तब स्टेटर के रोटेटिंग मेग्नेटिक फील्ड के साथ सिंक्रोनिज्म में लाॅक हो जाते हैं और मोटर, सिंक्रोनस मोटर की तरह कार्य करने लगती है। रोटर सर्किट लगातार हिस्टेरिसिस लाॅस के रूप में शक्ति को कंज्यूम करता रहता है और हमेशा उच शैथिल्य बलाघूर्ण कायम रहता है। इस प्रकार यह मोटर, अनियमित भार परिवर्तन की अवस्था में भी परम स्थिर गति कायम रख सकती है।
स्टेटर या स्थाता
हिस्टेरिसिस मोटर के स्टेटर की संरचना, स्पिलिट फेज इंडक्शन मोटर के स्टेटर के समान ही निम्न दो प्रकार की होती है, एक तो छादित ध्रुव प्ररूपि प्रकार का होता है और दूसरा स्थायी प्ररुपि प्रकार का स्टेटर होता है।
रोटर या घूर्णक
हिस्टेरिसिस मोटर के रोटर की संरचना लगभग स्पिलिट फेज इंडक्शन मोटर के स्काइरल केज रोटर के समान ही होती है, इसमें अन्तर केवल इतना होता है कि इसका रोटर कोर, न्यून विधुत लाॅस वाले एनल्ड सिलिकॉन स्टील लेमिनेशन के स्थान पर अधिक शैथिल्य हानियों वाले हार्डण्ड मेग्नेटिक स्टील या कोबाल्ट स्टील का बहुत छोटे आकार में बना होता है, जिसमें किसी भी प्रकार का कोई स्लोट, टीथ और वाइंडिंग नहीं होती है। इस प्रकार यह रोटर सादा, चिकना, लघु बेलनाकार होता है, जो स्टैंड स्टिल स्थिति में सिंक्रोनस गति तक एक समान टाॅर्क और ध्वनि रहित तुल्यकाली गति पर चलता है।
हिस्टेरिसिस मोटर की विशेषताएं ( Specialities of hysterisis motor )
• यह एक यांत्रिक और चुंबकीय कम्पनों से रहित मोटर है, इसलिए इसके प्रचालन में किसी भी प्रकार की ध्वनि ऊत्पन्न नहीं होती है।
• हिस्टेरिसिस मोटर का रोटर- खाॅचे रहित, दाॅते रहित, कुण्डलन लैस, सीमित लघु आमाप, बहुत ही सादा, चिकना, मजबूत, टिकाऊ, बेलनाकार होता है।
• इसके टाॅर्क का मान, शुरुआत से लेकर सिंक्रोनस गति तक, उच्च और एक समान होता है।
• हिस्टेरिसिस मोटर केवल तुल्यकाली गति पर ही चलती यि घूमती है।
• इस मोटर के अन्दर ऊत्पन्न शैथिल्य टाॅर्क, इसके रोटर में होने वाली हिस्टेरिसिस हानियों के बराबर होता है।
• यह मोटर अनियमित भार परिवर्तन की अवस्था में भी परम स्थिर गति को ज्यो के त्यों कायम रखती है।
• विधुत घड़ियों में प्रयोग होने वाली हिस्टेरिसिस मोटर का इनपुट दो या तीन वाट और आउटपुट कुछ ही मिली वाट होता है।
• 1/7 hp hysterisis motor की दक्षता और निष्पादन या कार्य कौशल लगभग समान आकार की इंडक्शन मोटर के समान ही होता है।
हिस्टेरिसिस मोटर के अनुप्रयोग ( Application of hysterisis motor )
प्रस्तुत मोटर की स्टार्टिंग, बिना आवाज और शुद्ध स्थिर गति होने के कारण, इसका उपयोग ध्वनि उपकरणों में, इलैक्ट्रिक घड़ियों में बहुत ज्यादा होता है; जैसे टेप रिकार्डिंग, फोनोग्राफ, टेलीक्रोन, घरों में प्रयोग होने वाले विधुत घड़ियों आदि के प्रचालन में होता है।
तो हिस्टेरिसिस मोटर क्या होती है ये आज की इस पोस्ट में हमने जाना है। उम्मीद है कि आप सब को यह जानकारी अच्छी लगी होंगी, अगर अच्छी लगी है तो हमें कमेंट करके जरूर अवगत करें।
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