विधुत उपकेंद्र क्या है
बिजली का उत्पादन 11 kv पर शक्ति केन्द्रों पर होता है। इस वोल्टेज पर विधुत ऊर्जा की अधिक लाॅस होने के कारण संचरण और वितरण नहीं किया जा सकता, इस विधुत को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए वोल्टेज को बढ़ाना पड़ता है और वितरण के लिए वोल्टेज को कम करके ही विधुत ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है। जिस स्थान पर विधुत ऊर्जा को बढ़ाने और घटाने का काम किया जाता है, उस स्थल को electric substation कहते हैं।
विधुत ऊर्जा का स्टेप अप और स्टेप डाउन करना ही उपकेंद्र का मुख्य काम होता है। इसके अतिरिक्त उपकेंद्रों पर बिजली का स्विचिंग, आवृत्ति में परिवर्तन, दिष्टकारी विधुत ऊर्जा को प्रत्यावर्ती ऊर्जा में परिवर्तन आदि कार्य भी किया जाता है। उधोगों में प्रयुक्त substation को औधौगिक उपकेन्द्र कहते हैं और इस जगह पर शक्ति गुणांक में भी सुधार किया जाता है।
वैधुत उपकेन्द्र, विधुत प्रदाय तन्त्र में वह स्थान है जहां विधुत ऊर्जा का रूपांतरण और नियंत्रण किया जाता है। विधुत प्रदाय कम्पनी सबसे पहले 11 kv, 33 kV या 66kv पर उच्च transmission substation को स्थापित करते है। 100kw से कम विधुत भार के उपभोक्ताओं के लिए अपचायी उपकेंद्रों द्वारा 440 वोल्ट पर वैधुत वितरित की जाती है। लेकिन 100kw से अधिक भार के लिए कम्पनी उपभोक्ता को 1.1kv या 6.6kv बिजली प्रदान करती है। और इस बिजली को नियंत्रित करने के लिए उपभोक्ता को खुद का 440 वोल्ट का उपकेन्द्र लगाना पड़ता है।
विधुत उपकेंद्र पर प्रयोग किएं जाने वाले उपकरण (Electric substation equipments)
• विधुत रोधक (Insulator)
विधुत उपकेंद्र में इंसुलेटर धारा प्रवाहित चालकों और बस बारो को आधार प्रदान करते हैं और उन्हें वैधुत संचालन भागों से अलग रखते हैं। इंसुलेटर का निर्माण चीनी मिट्टी से किया जाता है, उपकेंद्र में बुसिंग या पोस्ट इंसुलेटर का इस्तेमाल किया जाता है। इनको 66kv या उससे कम वोल्टेज के लिए चट्टो में क्षैतिज या ऊर्ध्वाधर रूप में लगातें है।
• बस बार (Bus bar)
Substation पर बस बार ठोस वृत्ताकार या आयताकार ताॅबे या एल्यूमीनियम चालक की होती है। कुछ विशेष परिस्थितियों में जहां बस बार को बहुत उच्च धारा वहन करनी पड़ती है और उच्च तापमान प्रभाव की सम्भावना होती है, वहां पर बस बार खोखली, वृत्ताकार या आयताकार ताम्र की भी होती है। इनके अलावा केबिलों के लिए विकृति बस बार भी प्रयोग की जाती है। bus bar का आकार उसकी धारा वहन क्षमता पर निर्भर करता है।
• पृथक्कारी स्विच (Isolate switch)
आइसोलेटर बिना भार पर परिपथ को उच्च वोल्टेज सप्लाई से विस्थापित करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। ये वायु विच्छेद होते है, उच्च वोल्टेज को नियंत्रित करने के लिए इन्हें मोटर की सहायता से परिचालित किया जाता है। 50kv से नीचे ये पृथक्कारी एकल ध्रुव होते है और 132kv या उससे उच्च वोल्टेज के लिए इन्हें समूह परिचालित बनाया जाता है।
• परिपथ वियोजक (Circuit breaker)
उपकेन्दों पर सर्किट ब्रेकर को परिपथ की असाधारण स्थितियों को ध्यान में रखते हुए लगाया जाता है। ये उच्च वोल्टेज परिपथ में ओटोमेटिक और प्रसामान्य भार स्थिति में हस्त द्वारा संचालित होने चाहिए। 11केवी वोल्टेज के लिए तेल पूरित प्रकार का परिपथ वियोजक अपनाया जाता है।
• फ्यूज (Fuses)
फ्यूज, ट्रांसफॉर्मर और लाइन को अधिभार से होने वाली हानि से बचाता है, लेकिन इनमें एक कमी यह है कि एक फ्यूज के उड़ने पर पद्वति अन्य दो फेजों पर काम करेंगी। फ्यूज की इस कमी को दूर करने के लिए उच्च वोल्टेज परिपथ में फ्यूज के साथ एक रक्षी रिले भी प्रयोग की जाती है।
• परिणामित्र (Transformer)
प्राइमरी संचारण के लिए डेल्टा-स्टार पावर transformer, सेकेंडरी संचारण के लिए स्टार-स्टार power transformer का उपयोग किया जाता है और प्राथमिक वितरण के लिए स्टार-डेल्टा शक्ति परिणामित्र और द्वितियक न्यून वोल्टेज के लिए डेल्टा स्टार वितरक ट्रांसफॉर्मर प्रयोग कियें जाते हैं। पावर स्टेशन पर परिणामित्र वोल्टेज को बढ़ाने के लिए और बाकी सभी स्थानों पर वोल्टेज को कम करने के लिए ट्रांसफॉर्मर स्थापित कियें जाते हैं और विशेष ध्यान यह रखा जाता है कि electric substation में परिणामित्र में कम से कम हानि हो।
• रक्षी रिले (Protective Relay)
विधुत दोष और अधिभार पर परिपथ के स्व एवं शीघ्र विच्छेदन के लिए और ट्रांसफॉर्मर की सुरक्षा के लिए विधुत उपकेंद्र पर परिपथ वियोजक के साथ रक्षी रिले इस्तेमाल की जाती है।
धारा ट्रांसफॉर्मर (Current transformer)
सबस्टेशन पर मापन एवं संकेतक उपयन्त्रो और रक्षी रिले के साथ करंट ट्रांसफॉर्मर उपयोग किये जाते हैं, ये उच्च वोल्टेज परिपथ में मापन और संकेतक यन्त्रो के साथ साथ उन्हें high voltage से अलग करते है जिससे सभी उपयन्त्र सुरक्षित रहते हैं और substation पर काम करने वाले व्यक्तियों को हाई वोल्टेज से हानि होने की संभावना नहीं रहती।
• विभव परिणामित्र (Potential transformer)
विभव परिणामित्र भी मापन और संकेतक उपकरणों के साथ प्रयोग में लाया जाता है इसकी सेकेंडरी साइड में यन्त्रों को लगाया जाता है। यह भी उच्च वोल्टेज से संयोजित उपयंत्रों को अलग रखता है।
विधुत उपकेंद्र के लिए स्थान का चयन करना (selection of site for an Electric substation)
विधुत उपकेंद्र के लिए स्थान का चयन करने से पहले उसकी क्षमता, वोल्टेज और प्रकार पर भी ध्यान देना अनिवार्य होता है। प्राइमरी ट्रांसमिशन के लिए इलैक्ट्रिक सबस्टेशन विधुत पावर प्लांट के पास, जबकि प्राथमिक और द्वितियक डिस्ट्रिब्यूशन उपकेंद्र, विधुत भार प्लांट के पास होने चाहिए। 11केवी से अधिक वोल्टेज वाले सबस्टेशन हमेशा शहरी क्षेत्र से बाहर और 11केवी या उससे कम वोल्टेज के उपकेंद्र बस्ती के बाहर या अंदर भार केन्द्र को ध्यान में रखकर स्थापित किया जा सकता है। विधुत उपकेंद्र के स्थान के लिए निम्न बातों का ध्यान में रखना बहुत जरूरी है।
• विधुत भार (Electric weight)
विधुत उपकेंद्र के चयन में सबसे महत्वपूर्ण गुणक भार है। भार केन्द्र पर सबस्टेशन को स्थापित करने का प्रयास किया जाता है, विशेष कर वितरण के लिए जहां की वितरक की लंबाई electric substation के स्थापन से प्रभावित होती है।
• भूमि के प्रकार और मूल्य के आधार पर
सबस्टेशन के लिए जगह ऐसी होनी चाहिए कि परिणामित्र के अधिक भार के कारण भूमि के धंसने की संभावना नहीं हों और हाई वोल्टेज लाइन के मार्ग में घना जंगल भी नहीं पड़ना चाहिए। वैसे भार केन्द्र के महत्व को ध्यान में रखते हुए भूमि के महत्व को ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है।
• सबस्टेशन का प्रकार
High voltage उपकेन्दों को गांव या कस्बे से बाहर स्थापित किया जाता है जबकि मध्यम और न्यून वोल्टेज सब स्टेशनों को बस्ती के अन्दर ही लगाया जाता है। प्राथमिक संचारण उपकेंद्र, जनन केन्द्र के पास ही इंस्टाॅल किया जाता है।
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