जिस प्रकार किसी विशेष कार्य के लिए विधुत मोटर का चयन करते समय उसके विधुत अभिलक्षणों को देखा जाता है, उतने ही महत्व के साथ उसकी यांत्रिक संरचना पर भी ध्यान देना चाहिए, और स्थिति के अनुसार ही विशेष यांत्रिक संरचना वाली मोटरों का चयन किया जाना चाहिए। तो यहां हम उन्ही विधुत मोटर के यांत्रिक अभिलक्षण के बारे में पढ़ेंगे। मोटर का चयन करते समय निम्न यांत्रिक अभिलक्षणों को ध्यान में रखना चाहिए।
घेरें के प्ररूप (type of enclosure)
मोटर के सभी मुख्य भाग जैसे कुण्डलन, बेयरिंग, विधुतरोधन आदि को वायुमंडल में उपस्थित दुषित वायु से बचाना अत्यन आवश्यक होता है। औधोगिक इकाइयों में मोटरों के चारों ओर धातु धूल, तेल धूल, पानी और प्रज्वलनशील धुआं इकठ्ठा हो जाता है। घेरें का काम मोटर को दूषित हवा से बचाना होता है। अगर इस प्रकार की सुरक्षा प्रदान करने के लिए किसी तरह का घेरा इस्तेमाल किया जाता है तो हम देखते है कि मोटर को ठण्डी हवा मिलनी बंद हो जाती है, जिससे मोटर का तापमान बढ़ जाता है और इससे उसी परिमाप की असुरक्षित मोटर की अपेक्षा इस मोटर की निर्गत घट जाती है। मोटर के घेरे का डिजाइन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
• मोटर को लगाने का स्थान
• मोटर को ठण्डा करने का प्राविधान
• मोटर से लिया जाने वाला काम
(1) खुली प्रारूपि मोटर
इस प्रकार की मशीनों में दूषित हवा, जैसे धातु धूल, पानी, साधारण धूल आदि से कोई सुरक्षा नहीं मिलती। ये मशीनें दोनों सिरों से खुली होती है, और मशीन के बियरिंग साधारण पैडस्टल या सिरा ब्रैकट पर लगे होते है। पुराने जमाने में ऐसी ही मोटरें प्रयोग की जाती थी, लेकिन आज कल केवल बहुत बड़ी दिष्ट धारा मोटरों में इस तरह के घेरे प्रयोग किये जाते हैं।
(2) पूर्णतया बन्द घेरे वाली मोटर
यह मोटर पूरी तरह से बंद घेरे वाली होती है, इनके फ्रेम ठोस होते है और सिरा प्लेटों में हवादारी के लिए छिद्र नहीं होते। इस प्रकार की घेरें वाली मोटरे धूल, दूषित हवा और रसायन धुएं आदि से पूरी तरह सुरक्षित होती है और इन्हे ऐसे स्थानों पर लगाया जाता है, जहां वातावरण दूषित रहता हो, जैसे आरा मिल, रसायन प्लांट, कोयला हैंडलिंग प्लांट में। इन मोटरों के शीतलन में कठिनाई के कारण इनकी निर्गत सुरक्षित मशीनों की अपेक्षा 50 से 70 तक होती है। इन्हें 2 से 3 अश्व शक्ति का ही बनाया जाता है, इससे अधिक अश्व शक्ति की मोटरों के लिए साफ्ट पर पंखा लगाया जाता है
(3) पूरी तरह बंद पंखा शीतलित मोटर
इस प्रकार की मोटरों में शीतलन के लिए साफ्ट के अचालन सिरों पर एक पंखा लगा दिया जाता है और उसे एक ढक्कन द्वारा ढक दिया जाता है। साफ्ट पर लगा यह पंखा घेरे के बाहर हवि फेंकता है, जिससे मोटर को ठंडा होने में मदद मिलती है। इस तरह की मोटरें 50 अश्व शक्ति तक बनायी जा सकती है और यह आरा मिलों, आटा चक्की, सीमेंट कार्यो में प्रयोग की जाती है।
(4) सुरक्षित मोटर
इस प्रकार की मोटरों में सिरा ढक्कन लगायें जातें है और दोनों सिरों पर हवा के लिए बड़े बड़े छिद्र छोड़े जातें है। इस तरह की मोटरें आज कल औधोगिक कार्यों के लिए इस्तेमाल की जाती है
बियरिंग (Bearing)
विधुत मोटरों में निम्न दो प्रकार के बियरिंग उपयोग में लाये जाते हैं, स्लीव बियरिंग और बाॅल बियरिंग या रोलर बियरिंग। इन दोनों का नीचे बिस्तार से अध्यन करेंगे।
(1) स्लीव बियरिंग
स्लीव बियरिंग कासा धातु के बने होते हैं, लेकिन सार्वत्रिक मोटरों और पंखा शीतलित मोटरों में छिद्रित पाउडर या सरंध्र धातु के बने स्लीव बियरिंग भी प्रयोग में लाएं जा सकते हैं, क्योंकि यह कोशिश क्रिया के कारण स्वं स्नेहक गुण रखतें हैं। बहुत छोटी मोटरों में स्लीव बियरिंग को तेल बस्ती द्वारा स्नेहित किया जाता है, जो कि साफ्ट पर स्प्रिंग द्वारा दबी रहती है। तेल बत्ती हल्के तेल द्वारा भिगी रहनी चाहिए।
(2) बाॅल या रोलर बियरिंग
रोलर बियरिंग में एक आन्तरिक रेस, एक ब्राह्रा रेस और एक पिंजरा होता है, जिसमें बाल या रोलर को फंसाया जाता है। इन बियरिंगों में ग्रीस लगाकर, इन्हे मोटर की साफ्ट के दोनों ओर सिरा प्लेटों में लगाया जाता है। आजकल स्लीव बियरिंग का स्थान बाल बियरिंग लेते जा रहें हैं और ऊर्ध्वाधर साफ्ट वाली मोटरों में बाल बियरिंग ही प्रयोग कियें जाते हैं, क्योंकि यह अक्षिय प्रघात को सहन कर सकते है और इनकी लागत भी अधिक होती है। इनमें घर्सण हानियां कम और अनुरक्षण व्यय लगभग नग्नय होता है इसलिए रोटर और स्टेटर में भी कम वायु अंतराल रखा जा सकता है।
चालन को संचालित करने की विधि
मोटर के प्ररूप और संरचना के चयन के साथ साथ चालन को भी संचारित करने की विधि का उपयोग चयन करना महत्वपूर्ण होता है। मोटर की गति का चयन करना भी जरूरी होता है क्योंकि उच्च गति पर मोटर की दक्षता और शक्ति गुणांक उच्च होता है और लागत प्रति अश्व शक्ति कम होती है, इसी कारण उच्च गति वाली मोटरें बनाई जाती है। यदि काम को निम्न गति पर करना हो तो घटाव गियर्स या अन्य उपर्युक्त विधि द्वारा मोटर की गति कम कर लेते हैं। मशीनों को चलाने के लिए निम्न संचारित विधियां प्रयोग की जाती है।
(1) पट्टा चालन
इस विधि में चमड़े या नायलोन धागे का पट्टा प्रयोग किया जाता है। यह सबसे अच्छा और सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली विधि है, जिसके द्वारा 300 अश्व शक्ति तक यांत्रिक शक्ति संचारित की जा सकती है, जबकि अन्य सीमा, गति अनुपात और पुली के केन्द्रो के साथ दूरी पर निर्भर करती है। इसके अतिरिक्त पट्टे की स्लिप को भी ध्यान में रखना चाहिए, जोकि 3 से 4 प्रतिशत हो सकती है।
(2) रस्सी चालन या वी पट्टा चालन
यह विधि वहां प्रयोग की जाती है, जहां पट्टा चालन इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। पुली के ऊपर बने वी प्रारूपि खाचो में कई रस्सियां, जिन्हें वी पट्टे भी कहते है चलती हैं। इस विधि का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें स्लिप बिल्कुल नहीं होती और यह अधिक दक्ष हैं। आजकल पट्टा चालन के स्थान पर इसी का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।
(3) जंजीर चालन
यह विधि पट्टा चालन और रस्सी चालन की अपेक्षा अधिक खर्चीलीं है, लेकिन इस चालन की दक्षता बहुत अच्छी होती है और इसमें स्लिप भी नग्नय होती है। इसके अतिरिक्त इसके द्वारा 6:1 अनुपात में गति प्राप्त की जा सकती है और उच्च गति के लिए भी यह विधि संतोषजनक है।
आवाज या ध्वनि (Noise)
मोटर या मशीन के चयन में उसके द्वारा उत्पन्न आवाज का एक महत्वपूर्ण स्थान है। घरेलू उपयोग में आने वाले उपकरणों जैसे हेयर ड्रायर, मिक्सर, फ्रिज और पंखों आदि में तथा चिकित्सालयों और छविग्रह में प्रयोग आने वाली मशीनों में आवाज बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। अधिक आवाज से रोगियों एवं दर्शकों को असुविधा होंगी। इसके साथ साथ औधोगिक कार्यों में इस्तेमाल होने वाली मशीनों में भी आविज न्यूनतम होनी चाहिए, अन्यथा अधिक आवाज, काम करने वालों को थका सकती है, जिससे फैकल्टी का उत्पादन घट सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि मोटर निर्माता ऐसी मोटरें डिजाइन करें, जिनसे कम ध्वनि ऊत्पन्न हो।
हैलो दोस्तो हमने आज की पोस्ट में जाना है कि विधुत मोटरों के यांत्रिक अभिलक्षण उम्मीद है आपको ये लेख अच्छा लगा होगा। अगर वाकई आपको हमारी यह जानकारी अच्छी लगी है तो हमें कमेंट करके जरूर सूचित किजियेगां।
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